SAMPLE QUESTION PAPER - 5
Hindi B (085)
Class X (2024-25)
निर्धारित समय: 3 hours अधिकतम अंक: 80
सामान्य निर्देश:
इस प्रश्नपत्र में चार खंड हैं - क, ख, ग और घ
खंड क में अपठित गदयांश से प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके उत्तर दिए गए निर्देशों का पालन करते
हुए दीजिए।
खंड ख में व्यावहारिक व्याकरण से प्रश्न पूछे गए हैं, आंतरिक विकल्प भी दिए गए हैं।
खंड ग पाठ्यपुस्तक पर आधारित है, निर्देशानुसार उत्तर दीजिए।
खंड घ रचनात्मक लेखन पर आधारित है आंतरिक विकल्प भी दिए गए हैं।
प्रश्न पत्र में कु ल 16 प्रश्न हैं, सभी प्रश्न अनिवार्य है।
यथासंभव सभी खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः लिखिए।
खंड क - अपठित बोध
1. निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए - [7]
मैं यह नहीं मानता कि समृद्धि और आध्यात्म एक-दू सरे के विरोधी हैं या भौतिक वस्तुओं की
इच्छा रखना कोई गलत सोच है। उदाहरण के तौर पर, मैं खुद न्यूनतम वस्तुओं का भोग
करते हुए जीवन बिता रहा हूँ, लेकिन मैं सर्वत्र समृद्धि की कद्र करता हूँ, क्योंकि समृद्धि अपने
साथ सुरक्षा तथा विश्वास लाती है, जो अंततः हमारी आज़ादी को बनाए रखने में सहायक है।
आप अपने आस-पास देखेंगे तो पाएँ गे कि खुद प्रकृ ति भी कोई काम आधे-अधूरे मन से नहीं
करती। किसी बगीचे में जाइए। मौसम में आपको फू लों की बहार देखने को मिलेगी। अथवा
ऊपर की तरफ ही देखें, यह ब्रह्माण्ड आपको अनंत तक फै ला दिखाई देगा, आपके यकीन
से भी परे । जो कु छ भी हम इस संसार में देखते हैं वह ऊर्जा का ही स्वरूप है। जैसा कि
महर्षि अरविंद ने कहा है कि हम भी ऊर्जा के ही अंश हैं। इसलिए जब हमने यह जान लिया
है कि आत्मा और पदार्थ दोनों ही अस्तित्व का हिस्सा हैं, वे एक-दू सरे से पूरा तादात्म्य रखे हुए
हैं तो हमें यह एहसास भी होगा कि भौतिक पदार्थों की इच्छा रखना किसी भी दृष्टिकोण से
शर्मनाक या गैर-आध्यात्मिक बात नहीं है।
1. लेखक के अनुसार समृद्धि और आध्यात्म में क्या सम्बन्ध है? (1)
(क) एक-दू सरे के विरोधी हैं
(ख) एक-दू सरे के पूरक हैं
(ग) एक-दू सरे से संबंधित नहीं हैं
(घ) समृद्धि, आध्यात्म से बेहतर है
2. भौतिक शब्द का विलोम शब्द क्या है? (1)
(क) अभौतिक
, (ख) सांसारिक
(ग) ईश्वरीय
(घ) स्थूल
3. समृद्धि को आवश्यक क्यों बताया गया है? (1)
(क) समृद्धि अपने साथ सुरक्षा तथा विश्वास लाती है
(ख) समृद्धि हमारी आज़ादी को बनाए रखने में सहायक है
(ग) समृद्धि और आध्यात्म एक-दू सरे के पूरक हैं
(घ) उपरोक्त सभी
4. भौतिक वस्तुओं की इच्छा के बारे में लेखक का क्या मत है? (2)
5. लेखक ने प्रकृ ति का क्या स्वभाव बताया है? (2)
2. निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- [7]
समय परिवर्तनशील है। जो आज हमारे साथ नहीं है कल हमारे साथ होगा और हम अपने
दु:ख और असफलता से मुक्ति पा लेंगे यह विचार ही हमें सहजता प्रदान कर सकता है। हम
दू सरे की सम्पन्नता, ऊँ चा पद और भौतिक साधनों की उपलब्धता देखकर विचलित हो जाते
हैं कि यह उसके पास तो है किन्तु हमारे पास नहीं है। यह हमारे विचारों की गरीबी का प्रमाण
है और यही बात अन्दर विकट असहज भाव का संचालन करती है।
जीवन में सहजता का भाव न होने के वजह से अधिकतर लोग हमेशा ही असफल होते हैं।
सहज भाव लाने के लिए हमें एक तो नियमित रूप से योगासन-प्राणायाम और ध्यान करने के
साथ ईश्वर का स्मरण अवश्य करना चाहिए। इसमें हमारे तन-मन और विचारों के विकार
बाहर निकलते हैं और तभी हम सहजता के भाव का अनुभव कर सकते हैं। याद रखने की
बात है कि हमारे विकार ही अन्दर हैं। ईर्ष्या -द्वेष और परनिंदा जैसे दुर्गुण हम अनजाने में ही
अपना लेते हैं और अंततः जीवन में हर पल असहज होते हैं और उससे बचने के लिए
आवश्यक है कि हम आध्यात्म के प्रति अपने मन और विचारों का रुझान रखें।
1. अधिकतर लोग हमेशा ही असफल क्यों होते हैं? (1)
(क) जीवन में सहजता का भाव न होने के कारण
(ख) आध्यात्म के प्रति रुझान न होने के कारण
(ग) गरीबी के कारण
(घ) सम्पन्नता, ऊँ चा पद और भौतिक साधनों की उपलब्धता के कारण
2. असहजता से बचने का क्या उपाय है? (1)
(क) ईर्ष्या -द्वेष और परनिंदा को छोड़कर
(ख) योगासन-प्राणायाम और ध्यान करके
(ग) अधिक धन कमाकर
(घ) आध्यात्म के प्रति रुझान रखकर
3. कौन से विचार हमें सहजता प्रदान कर सकते हैं? (1)
(क) आध्यात्मिक विचार
, (ख) परनिंदा के विचार
(ग) धन अर्जन के विचार
(घ) स्वस्थ शरीर के विचार
4. विचारों की गरीबी से लेखक का क्या अभिप्राय है? (2)
5. हम सहजता का विकास कै से कर सकते हैं? (2)
खंड ख - व्यावहारिक व्याकरण
3. निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। [4]
i. मुझे ऋतु घर से दिखाई दे रही है। वाक्य में क्रिया पदबंध ढूँ ढ कर लिखिए।
ii. शेर की तरह दहाड़ने वाले तुम काँप क्यों रहे हो। रे खांकित पदबंध का नाम लिखिए।
iii. विरोध करने वाले व्यक्तियों में से कोई नहीं आया। इस वाक्य में प्रयुक्त सर्वनाम पदबंध
लिखिए।
iv. दिन-रात एक करने वाला छात्र कक्षा में प्रथम आएगा। इस वाक्य में संज्ञा पदबंध क्या है?
v. वह बाजार की ओर आया होगा। रे खांकित पदबंध का नाम लिखिए।
4. नीचे लिखें वाक्यों में से किन्हीं चार वाक्यों का निर्देशानुसार रचना के आधार पर वाक्य [4]
रूपांतरण कीजिए-
i. जब वह गया, उसकी बड़ी आवभगत की गई। (सरल वाक्य में)
ii. मैं स्टेशन गया पर गाड़ी छू ट चुकी थी। (सरल वाक्य में)
iii. अभी-अभी आने वाले लड़के को पानी पिलाओ। (संयुक्त वाक्य में)
iv. वह रोज व्यायाम करता है, इसलिए स्वस्थ रहता है। (सरल वाक्य में)
v. हरिहर काका ने ठाकु रबारी के महंत, पुजारी और साधुओं की जो काली करतूतें थीं उनका
पर्दाफाश करना शुरू किया। (सरल वाक्य में)
5. निर्देशानुसार किन्हीं चार प्रश्नों का उत्तर दीजिए और उपयुक्त समास का नाम भी लिखिए। [4]
i. प्रत्येक घर (विग्रह कीजिए)
ii. माखनचोर (विग्रह कीजिए)
iii. शूल है पाणी में जिसके (समस्त पद लिखिए)
iv. ऋषि और मुनि (समस्त पद लिखिए)
v. तीन वेणियों का समूह (समस्त पद लिखिए)
6. निम्नलिखित में से किन्हीं चार मुहावरों का वाक्य में प्रयोग इस प्रकार कीजिए कि उनका [4]
आशय स्पष्ट हो जाए:
i. नमक-मिर्च लगाना
ii. दौड़-धूप करना
Hindi B (085)
Class X (2024-25)
निर्धारित समय: 3 hours अधिकतम अंक: 80
सामान्य निर्देश:
इस प्रश्नपत्र में चार खंड हैं - क, ख, ग और घ
खंड क में अपठित गदयांश से प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके उत्तर दिए गए निर्देशों का पालन करते
हुए दीजिए।
खंड ख में व्यावहारिक व्याकरण से प्रश्न पूछे गए हैं, आंतरिक विकल्प भी दिए गए हैं।
खंड ग पाठ्यपुस्तक पर आधारित है, निर्देशानुसार उत्तर दीजिए।
खंड घ रचनात्मक लेखन पर आधारित है आंतरिक विकल्प भी दिए गए हैं।
प्रश्न पत्र में कु ल 16 प्रश्न हैं, सभी प्रश्न अनिवार्य है।
यथासंभव सभी खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः लिखिए।
खंड क - अपठित बोध
1. निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए - [7]
मैं यह नहीं मानता कि समृद्धि और आध्यात्म एक-दू सरे के विरोधी हैं या भौतिक वस्तुओं की
इच्छा रखना कोई गलत सोच है। उदाहरण के तौर पर, मैं खुद न्यूनतम वस्तुओं का भोग
करते हुए जीवन बिता रहा हूँ, लेकिन मैं सर्वत्र समृद्धि की कद्र करता हूँ, क्योंकि समृद्धि अपने
साथ सुरक्षा तथा विश्वास लाती है, जो अंततः हमारी आज़ादी को बनाए रखने में सहायक है।
आप अपने आस-पास देखेंगे तो पाएँ गे कि खुद प्रकृ ति भी कोई काम आधे-अधूरे मन से नहीं
करती। किसी बगीचे में जाइए। मौसम में आपको फू लों की बहार देखने को मिलेगी। अथवा
ऊपर की तरफ ही देखें, यह ब्रह्माण्ड आपको अनंत तक फै ला दिखाई देगा, आपके यकीन
से भी परे । जो कु छ भी हम इस संसार में देखते हैं वह ऊर्जा का ही स्वरूप है। जैसा कि
महर्षि अरविंद ने कहा है कि हम भी ऊर्जा के ही अंश हैं। इसलिए जब हमने यह जान लिया
है कि आत्मा और पदार्थ दोनों ही अस्तित्व का हिस्सा हैं, वे एक-दू सरे से पूरा तादात्म्य रखे हुए
हैं तो हमें यह एहसास भी होगा कि भौतिक पदार्थों की इच्छा रखना किसी भी दृष्टिकोण से
शर्मनाक या गैर-आध्यात्मिक बात नहीं है।
1. लेखक के अनुसार समृद्धि और आध्यात्म में क्या सम्बन्ध है? (1)
(क) एक-दू सरे के विरोधी हैं
(ख) एक-दू सरे के पूरक हैं
(ग) एक-दू सरे से संबंधित नहीं हैं
(घ) समृद्धि, आध्यात्म से बेहतर है
2. भौतिक शब्द का विलोम शब्द क्या है? (1)
(क) अभौतिक
, (ख) सांसारिक
(ग) ईश्वरीय
(घ) स्थूल
3. समृद्धि को आवश्यक क्यों बताया गया है? (1)
(क) समृद्धि अपने साथ सुरक्षा तथा विश्वास लाती है
(ख) समृद्धि हमारी आज़ादी को बनाए रखने में सहायक है
(ग) समृद्धि और आध्यात्म एक-दू सरे के पूरक हैं
(घ) उपरोक्त सभी
4. भौतिक वस्तुओं की इच्छा के बारे में लेखक का क्या मत है? (2)
5. लेखक ने प्रकृ ति का क्या स्वभाव बताया है? (2)
2. निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- [7]
समय परिवर्तनशील है। जो आज हमारे साथ नहीं है कल हमारे साथ होगा और हम अपने
दु:ख और असफलता से मुक्ति पा लेंगे यह विचार ही हमें सहजता प्रदान कर सकता है। हम
दू सरे की सम्पन्नता, ऊँ चा पद और भौतिक साधनों की उपलब्धता देखकर विचलित हो जाते
हैं कि यह उसके पास तो है किन्तु हमारे पास नहीं है। यह हमारे विचारों की गरीबी का प्रमाण
है और यही बात अन्दर विकट असहज भाव का संचालन करती है।
जीवन में सहजता का भाव न होने के वजह से अधिकतर लोग हमेशा ही असफल होते हैं।
सहज भाव लाने के लिए हमें एक तो नियमित रूप से योगासन-प्राणायाम और ध्यान करने के
साथ ईश्वर का स्मरण अवश्य करना चाहिए। इसमें हमारे तन-मन और विचारों के विकार
बाहर निकलते हैं और तभी हम सहजता के भाव का अनुभव कर सकते हैं। याद रखने की
बात है कि हमारे विकार ही अन्दर हैं। ईर्ष्या -द्वेष और परनिंदा जैसे दुर्गुण हम अनजाने में ही
अपना लेते हैं और अंततः जीवन में हर पल असहज होते हैं और उससे बचने के लिए
आवश्यक है कि हम आध्यात्म के प्रति अपने मन और विचारों का रुझान रखें।
1. अधिकतर लोग हमेशा ही असफल क्यों होते हैं? (1)
(क) जीवन में सहजता का भाव न होने के कारण
(ख) आध्यात्म के प्रति रुझान न होने के कारण
(ग) गरीबी के कारण
(घ) सम्पन्नता, ऊँ चा पद और भौतिक साधनों की उपलब्धता के कारण
2. असहजता से बचने का क्या उपाय है? (1)
(क) ईर्ष्या -द्वेष और परनिंदा को छोड़कर
(ख) योगासन-प्राणायाम और ध्यान करके
(ग) अधिक धन कमाकर
(घ) आध्यात्म के प्रति रुझान रखकर
3. कौन से विचार हमें सहजता प्रदान कर सकते हैं? (1)
(क) आध्यात्मिक विचार
, (ख) परनिंदा के विचार
(ग) धन अर्जन के विचार
(घ) स्वस्थ शरीर के विचार
4. विचारों की गरीबी से लेखक का क्या अभिप्राय है? (2)
5. हम सहजता का विकास कै से कर सकते हैं? (2)
खंड ख - व्यावहारिक व्याकरण
3. निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। [4]
i. मुझे ऋतु घर से दिखाई दे रही है। वाक्य में क्रिया पदबंध ढूँ ढ कर लिखिए।
ii. शेर की तरह दहाड़ने वाले तुम काँप क्यों रहे हो। रे खांकित पदबंध का नाम लिखिए।
iii. विरोध करने वाले व्यक्तियों में से कोई नहीं आया। इस वाक्य में प्रयुक्त सर्वनाम पदबंध
लिखिए।
iv. दिन-रात एक करने वाला छात्र कक्षा में प्रथम आएगा। इस वाक्य में संज्ञा पदबंध क्या है?
v. वह बाजार की ओर आया होगा। रे खांकित पदबंध का नाम लिखिए।
4. नीचे लिखें वाक्यों में से किन्हीं चार वाक्यों का निर्देशानुसार रचना के आधार पर वाक्य [4]
रूपांतरण कीजिए-
i. जब वह गया, उसकी बड़ी आवभगत की गई। (सरल वाक्य में)
ii. मैं स्टेशन गया पर गाड़ी छू ट चुकी थी। (सरल वाक्य में)
iii. अभी-अभी आने वाले लड़के को पानी पिलाओ। (संयुक्त वाक्य में)
iv. वह रोज व्यायाम करता है, इसलिए स्वस्थ रहता है। (सरल वाक्य में)
v. हरिहर काका ने ठाकु रबारी के महंत, पुजारी और साधुओं की जो काली करतूतें थीं उनका
पर्दाफाश करना शुरू किया। (सरल वाक्य में)
5. निर्देशानुसार किन्हीं चार प्रश्नों का उत्तर दीजिए और उपयुक्त समास का नाम भी लिखिए। [4]
i. प्रत्येक घर (विग्रह कीजिए)
ii. माखनचोर (विग्रह कीजिए)
iii. शूल है पाणी में जिसके (समस्त पद लिखिए)
iv. ऋषि और मुनि (समस्त पद लिखिए)
v. तीन वेणियों का समूह (समस्त पद लिखिए)
6. निम्नलिखित में से किन्हीं चार मुहावरों का वाक्य में प्रयोग इस प्रकार कीजिए कि उनका [4]
आशय स्पष्ट हो जाए:
i. नमक-मिर्च लगाना
ii. दौड़-धूप करना